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हम जितने भी डिवाइस इस्तेमाल करते है उनमें से ज्यादातर डिवाइस में android या iOS ऑपरेटिंग सिस्टम ही होता है । इन दोनों ने मिलकर 99 प्रतिशत से ज़्यादा का मार्किट कैप्चर कर रखा है । मगर अब ये स्थिति बहुत ही जल्द बदलने वाली है । क्यूंकि अब मेड इन इंडिया ऑपरेटिंग सिस्टम आने वाला है , जो एंड्राइड और iOS दोनों को कड़ी टक्कर देगा । तो चलिए इसके बारें में विस्तार से जानते है ।
Operating System (OS) क्या होता है ?
Operating System एक सॉफ्टवेयर होता है , जो computer के हार्डवेयर कॉम्पोनेन्ट और user के बीच में इंटरफ़ेस का काम करता है । इसे OS के नाम से भी जाना जाता है । OS user को computer से कम्यूनिकेट करने में मदद करता है , बिना computer की भाषा जाने । बिना ऑपरेटिंग सिस्टम के किसी भी कंप्यूटर या मोबाइल डिवाइस को चलाना असम्भव है ।
मेड इन इंडिया होगा Operating System ?
अब तक हम सभी वही स्मार्टफोंस इस्तेमाल करते है , जिनमे एंड्राइड या तो iOS ऑपरेटिंग सिस्टम होता है । मगर अब भारत सरकार बहुत ही जल्द मेड इन इंडिया ऑपरेटिंग सिस्टम लाने वाली है , जो की परफॉरमेंस के मामले में एंड्राइड और iOS को टक्कर देगा ।
इसकी जानकारी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने दी है , वे भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रसारण मंत्रालय में कार्यरत है . उन्होंने बताया की सरकार नए ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम कर रही है , जो की पूरी तरह से मेड इन इंडिया होगा । ये ऑपरेटिंग सिस्टम एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने में मदद करेगा ,जो की शिक्षा और स्टार्टअप के क्षेत्र में काफी मददगार साबित होगा ।
भारतीय OS की ज़रुरत क्यूँ है ?
पूरी दुनिया भर में अलग अलग देशो की सरकारों और इंडस्ट्री का मानना है की पुरे internet इकोसिस्टम पर कुछ ही कंपनियों का दबदबा है । उदाहरण के लिए पूरे दुनिया भर में जितने स्मार्टफोंस इस्तेमाल होते है , उसमे से 99 प्रतिशत से ज़्यादा में सिर्फ गूगल का एंड्राइड और एप्पल का iOS ऑपरेटिंग सिस्टम इस्तेमाल होता है ।
इसी स्तिथि को बदलने के लिए और मेड इन इंडिया को बढावा देने के लिए भारत सरकार खुद का ऑपरेटिंग सिस्टम लाने वाली है । यह ऑपरेटिंग सिस्टम परफॉरमेंस और फीचर के मामले में android और iOS दोनों को टक्कर देगा । इसके साथ ही ये ज़्यादा सिक्योर भी रहेगा , क्यूंकि इसके data सेंटर्स भारत में ही होंगे ।
OS का मार्किट शेयर क्या है ?
OS के मार्किट शेयर की बात करें तो , पूरी दुनिया में जितने मोबाइल बनते है , उनमे से 70 प्रतिशत स्मार्ट फोंस में एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम होता है । और 29 प्रतिशत में iOS ऑपरेटिंग सिस्टम होता है और 1 प्रतिशत में बाकि के ऑपरेटिंग सिस्टम होते है । वही अगर भारत की बात करें तो , 95 प्रतिशत स्मार्ट फोंस में एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम होता है और बाकि 4 प्रतिशत में iOS होता है । इसके बाद जो 1 प्रतिशत बचता है , उसमे बाकि के ऑपरेटिंग सिस्टम आते है ।
क्या भारतीय OS सफल होगा ?
भारत सरकार जिस ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम कर रही है , वो सफल होगा या नही ये तो इसके लांच होने के बाद ही कहा जा सकता है । वही इस फील्ड की बात करे तो अभी गूगल और एप्पल जैसी कंपनियां ही सिर्फ स्मार्ट फोंस ऑपरेटिंग सिस्टम के मार्किट पर कब्ज़ा करके बैठी है । वही इनसे कम्पटीशन की बात करें तो , माइक्रोसॉफ्ट पहले भी अपना स्मार्ट phone ऑपरेटिंग सिस्टम उतार चूका है , जो की बाद में फ़ैल हो गया था ।
इसके साथ ही जब अमेरिका की सरकार ने चाइना की company Huawei पर बैन लगया था , जिसके बाद गूगल ने अपना एंड्राइड सपोर्ट देना बंद कर दिया था । जिसके बाद से Huawei का ग्लोबल मार्किट शेयर 17 प्रतिशत से भी ज़्यादा गिर चूका है । इन सबको देखते हुए सरकार के लिए इतना आसान नही होगा एंड्राइड और iOS को टक्कर देना । मगर भारत सरकार द्वारा बनाया गया ऑपरेटिंग सिस्टम चलता है या नही , यह तो उसके लांच होने के बाद ही बताया जा सकता है ।
मैं आशा करता हूँ , की इस आर्टिकल को पढने के बाद आपको काफी नई जानकारी प्राप्त हुई होगी । इसके साथ ही आपको काफी कुछ नया सीखने को मिलेगा । यदि फिर भी आपके मन में कोई सवाल या सुझाव रहता है , तो आप हमें नीचे कमेंट करके बता सकते है ।
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